Makke Ki Kheti : किसान बरतें सावधानी, फसल लगाने से पहले याद रखें ये जरूरी बातें

Makke Ki Kheti : कन्नौज जिले के किसान आलू की खेती निकालने के बाद बड़े स्तर पर मक्के की खेती करते हैं। जैसा कि हम जानते हैं मक्के की फसल साल में दो बार लगाई जा सकती है। लेकिन इस समय की जाने वाली खेती में पानी की अधिक जरूरत पड़ती है। जिससे लगातार कन्नौज जिले में पानी की कमी के चलते डार्क जोन में जाने का खतरा मंडरा रहा है।

इस समय मक्के की खेती करने के लिए अधिक पानी की जरूरत पड़ती है। मक्के की खेती को करीबन 10 बार सिंचाई करने की जरूरत पड़ती है। कन्नौज जिले के किसान करीबन 55000 हेक्टेयर में मक्के की खेती करते हैं। इसी के चलते कई सालों से कन्नौज जिला डार्कजोन में आने की कगार पर पहुंच गया है। इससे आने वाला समय बहुत मुश्किल होने वाला है।

दो बार होती है इसकी खेती

मक्के की खेती साल में दो बार की जा सकती है। पहली फसल जायत में बोई जाती है तो दूसरी फसल खरीफ में की जाती है। प्राकृतिक बारिश का पानी मिल जाने के कारण बरसात के महीने में मक्के की फसल को कम सिंचाई की जरूरत पड़ती है। वहीं जायद के समय भीषण गर्मी के चलते इसे बचाने के लिए बार-बार सिंचाई करनी पड़ती है।

जरूरी उपाय

सबसे पहले किसानों को चाहिए कि वह ऐसी फसलों का चयन करें जिसमें कम पानी की आवश्यकता हो। किसानों को मक्के की फसल किसान सिंचाई के समय कई जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए। अगर आप टूबवेल से सिंचाई करते हैं तो ज्यादा पानी की आवश्यकता पड़ती है। इसे अच्छा है आप अन्डरग्राउंड पाइपलाइन से जरूरत के हिसाब से पानी लगा सकते हैं। किसानों को स्प्रिंकलर सिस्टम से सिंचाई करनी चाहिए, जिससे कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

अधिकारी क्या बोले

कृषि अधिकारी का कहना है कि किस कन्नौज जिले में आलू की बिजाई बड़े स्तर पर करते हैं। इसी तरह इस बार मक्के की फसल करीबन 55000 हेक्टेयर में की गई है। जायद के समय की गई मक्के की फसल में करीबन 10 बार सिंचाई करनी पड़ती है जिससे अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है।Makke Ki Kheti

अधिक पानी का प्रयोग होने के कारण कन्नौज के कई ऐसे ब्लॉक हैं जो डार्क जोन में चले गए हैं। उन्होंने बताया कि किसानों को कोई भी बड़ी समस्या खड़ी होने से पहले सोच समझकर खेती करनी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि किसानों को मक्के की फसल के साथ-साथ काम पाने वाली फसलों की भी बिजाई करनी चाहिए।

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