Watermelon farming : तरबूज की खेती में किसानों कम लागत में ज्यादा फायदा, ऐसे करें खेती

Watermelon farming : भारत में गर्मियों की शुरुआत में किसानों ने तरबूज का व्यापक उत्पादन किया है। वर्तमान समय में तरबूज के फल की बहुत मांग है। ऐसे में किसान इसकी खेती कर अच्छे पैसे कमा सकता है। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में तरबूज की खेती आम है। इस फल को उगाने के लिए कम समय, खाद और पानी की आवश्यकता होती है। याद रखें कि गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए तरबूज का फल बहुत खाना चाहिए। ऐसा होने से किसानों का मुनाफा लाखों तक पहुंच जाएगा।

Watermelon farming

विभिन्न किस्में

तरबूज की चार प्रमुख किस्मों और संकर हैं: शुगर बेबी, अर्का मानिक और अर्का ज्योति। इसके अलावा, किसानों को कई बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों से बीज मिलते हैं। बाजार की मांग, उत्पादन क्षमता और जैविक या अजैविक प्रकोप की प्रतिकारक क्षमता बुआई के लिए उपयुक्त प्रजाति का चयन करते हैं।

खेत तैयार करना

खेती करने से पहले मिट्टी पलटने वाले हल का उपयोग करना चाहिए। खेतों में बहुत कम या बहुत अधिक पानी नहीं होना चाहिए। गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं। ज्यादा रेत होने पर ऊपरी सतह को हटाकर नीचे की मिट्टी में खाद मिलाना चाहिए। Watermelon farming

बीज दर और उपचार

उन्नत तरबूज की बीज दर 2.5 से 3 किग्रा है, जबकि संकर तरबूज की बीज दर 750 से 875 ग्राम प्रति हैक्टर है। 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम फफूंदनाशक प्रति लीटर पानी के घोल में बुआई के पहले बीज को डुबोकर लगभग तीन घंटे तक उपचार कर सकते हैं। उपचारित बीजों को फिर 12 घंटे तक छाया में नम जूट बैग में रखकर खेत में बुआई कर सकते हैं। Watermelon farming

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आवश्यक जलवायु और मिट्टी

इसकी खेती गर्म और औसत आर्द्रता वाले क्षेत्रों में सबसे अच्छी होती है। यह 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तक अच्छे से विकसित होता है। वहीं, खेती के लिए सबसे अच्छी भूमि रेतीली और रेतीली दोमट है। विशेषज्ञों का कहना है कि खेती के लिए खाली नदियों (जैसे गंगा, यमुना) में क्यारियां बनाकर करना सबसे फायदेमंद है। Watermelon farming

बुआई रोपण की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया

भूमि की तैयारी के बाद, 15-20 सें.मी. ऊंचाई और 60 सें.मी. चौड़ाई वाली क्यारियां बनाई जाती हैं। क्यारियों में छह फीट की दूरी हो सकती है। क्यारियों पर लेटरल्स फैलाना चाहिए। 4 फीट चौड़ाई और 25–30 माइक्रॉन मोटे मल्चिंग पेपर से क्यारियों को फैलाना चाहिए। बुआई या रोपण से कम से कम एक दिन पहले, क्यारियों पर कसकर फैले मल्चिंग पेपर में 30 से 45 सें.मी. की दूरियों पर छेद करना चाहिए। मृदा से गर्म हवा निकाल सकते हैं।रोपण या बुआई से पहले क्यारियों को साफ करें। 15 से 21 दिनों की आय के पौधों को रोपण के लिए कोकोपीट का उपयोग करें। Watermelon farming

खाद और उर्वरक का प्रबंधन

मृदा जांच के आधार पर उर्वरक और खाद का प्रयोग उचित रहता है। 15-20 टन गोबर या कम्पोस्ट खाद प्रति हैक्टर खेत तैयार करते समय मृदा में डालें। प्रति हैक्टर 250 किग्रा नीम खली, या नीम केक दे सकते हैं। रासायनिक उर्वरक का उपयोग करने के लगभग दस दिन बाद जैविक उर्वरक (जैसे एजोटोबॅक्टर, पीएसबी और टाइकोडर्मा) देना उचित है। सिंचाई भी पानी में घुलनशील जैव उर्वरक दे सकती है। रासायनिक उर्वरक जैव उर्वरक के साथ प्रयोग नहीं करें। 50 किग्रा प्रति हैक्टर तरबूज फसल के लिए रासायनिक उर्वरक बुआई या रोपण के समय 50 किग्रा. नाइट्रोजन (यूरिया 109 किग्रा.), 50 किग्रा. फॉस्फोरस (SSP 313 किग्रा.) और 50 किग्रा. पोटाश (MOP 83 किग्रा.) देना चाहिए। बुआई के 30, 45 और 60 दिनों में 50 किग्रा. (यूरिया 109 किग्रा.) अतिरिक्त नाइट्रोजन देना चाहिए। खाद का उपयोग मृदा में उपस्थित आवश्यक पोषक तत्वों और मृदा परीक्षण पर निर्भर करता है। Watermelon farming

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